बुधवार, 30 जुलाई 2008

मेरे दोस्त के लिए! हाल ऐ दिल

कुछ तो दोस्तों के लिए भी बनना पड़ेगा,
कुछ उनका ख़याल भी करना पड़ेगा,
कब तलक गुज़रा पल याद करते रहे?
हमें आज को भी तो जीना पड़ेगा

रूठ जायेंगे वो भी खुशियों की तरह,
उनको भी तो दामन में भरना पड़ेगा

हैं अगर नाराज़ मेरा वो दोस्त तो क्या,
मैं जानता हूँ उसे मेरी खुशियों की खातिर हँसना पड़ेगा

गलतियां होती तो इंसान से ही हैं, समझ ले मेरे यार,
मैं जानता हूँ मुझे इंसान से ऊपर तेरे लिए उठाना पड़ेगा

मान भी जा अब, कब तलक रूठेगा मुझसे,
अब क्या तेरे आगे भी मुझे झुकना पड़ेगा।




4 टिप्‍पणियां:

  1. मान भी जा अब, कब तलक रूठेगा मुझसे,
    अब क्या तेरे आगे भी मुझे झुकना पड़ेगा।

    -बहुत उम्दा, क्या बात है!

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  2. thik hai maaf kiya :)or acha laga yeh post dekh k......thnx nahi kahongi bt :P

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  3. "गलतियां होती तो इंसान से ही हैं, समझ ले मेरे यार,
    मैं जानता हूँ मुझे इंसान से ऊपर तेरे लिए उठाना पड़ेगा।"

    दिल की बात. एकदम सच्ची और खरी.
    अच्छी नज़्म. बधाई.

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