मेरे दिल की बातों का जो असर हुआ होता,
तो न मैं तन्हा होता और न तू तन्हा होता,
करते यूँही दीदार एक दूसरे का क़रीब से हम,
न दूर मैं आया होता और न दूर तू गया होता।
ज़िन्दगी में नही रहता हमेशा साथ कोई तो क्या,
हमें एक और पल तो साथ में मिला होता,
कोई फूल तो इस चमन में भी खिला होता,
मेरे दिल की बातों का जो असर हुआ होता।
यूँ तो दुनिया की क़ामयाबी के लिए दिमाग़ से सोचना ज़रूरी होता है,
पर मुहब्बत में इसका काम नही होता,
काश उस एक पल हमने दिमाग़ से न सोचा होता,
मेरे दिल की बातों का जो असर हुआ होता।
है फिर कमी सी इस चमन में,
जहाँ मिलकर किया था गुलशन को गुलज़ार हमने,
इसमें यूँ मातम सा न पसरा होता,
मेरे दिल की बातों का जो असर हुआ होता।
बहुत सुंदर लिखा है बधाई,ऐसे ही लिखते रहें..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन और उम्दा.
बहुत बढिया लिखा है।
जवाब देंहटाएंमेरे दिल की बातों का जो असर हुआ होता,
तो न मैं तन्हा होता और न तू तन्हा होता,
करते यूँही दीदार एक दूसरे का क़रीब से हम,
न दूर मैं आया होता और न दूर तू गया होता।
मेरे दिल की बातों का जो असर हुआ होता,
जवाब देंहटाएंतो न मैं तन्हा होता और न तू तन्हा होता,
--वाह! आनन्द आ गया.