ग़मो को खुशियो का नाम देते है
न चाहते हुए भी उन्हें बाँट लेते है
ज़ख्म मिले है हमे अपनों से इतने
की अब गैरों से अपनों का काम लेते है
अपनों की वजह से ज़िन्दगी में गवाया बहुत है
गैरों ने भी अपना बन के रुलाया बहुत है
अकेले रह के खुशी का एहसास लेते है
तन्हाई में भी अब ग़म ही साथ देते है
ग़मो को खुशियो का नाम देते है
न चाहते हुए भी उन्हें बाँट लेते है
न चाहते हुए भी उन्हें बाँट लेते है
ज़ख्म मिले है हमे अपनों से इतने
की अब गैरों से अपनों का काम लेते है
अपनों की वजह से ज़िन्दगी में गवाया बहुत है
गैरों ने भी अपना बन के रुलाया बहुत है
अकेले रह के खुशी का एहसास लेते है
तन्हाई में भी अब ग़म ही साथ देते है
ग़मो को खुशियो का नाम देते है
न चाहते हुए भी उन्हें बाँट लेते है
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