खवाहिशे आसमान की बुलंदियाँ छूने की न की
आशियाना बादलों में बस एक बनाना है
चाहे न जाने नाम यह ज़माना हमारा
लोगो के दिलो में घर बनाना है
किसी तम्घे की हसरत नही, न किसी वाह वाही की है मुराद।
बस अपनी नज़रों में सर फख्र से उठाना है
चाहे न जाने नाम यह ज़माना हमारा
लोगो के दिलो में घर बनाना है
किसी तम्घे की हसरत नही, न किसी वाह वाही की है मुराद।
बस अपनी नज़रों में सर फख्र से उठाना है
स अपनी नज़रों में सर फख्र से उठाना है
जवाब देंहटाएंaameen.....
bhut khub.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया.
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