सोमवार, 21 जुलाई 2008

कह दो उनसे..................

कह दो फ़िर की खवाबो में न आया करे
रह रह कर हमे न सताया करे
रो चुका हूँ उनके लिए बहुत आज तक
जीने का मौका मुझे भी मिले कुछ पल अपने लिए....

हसीनो की तो जैसे आदत ही है हमे सताना
पहले हँसा के फ़िर रुलाना
कह दो उनसे की शिकारी की नजरो से न देखा करे हमे
इस दिल ने नही सिखा किसी को अपना बना के फ़िर भुलाना.....

तड़प तड़प के मरना न था मंज़ूर हमे
पर अब तो मौत भी मयस्सर नही
वादा किया है उनके बिना जीने का उनसे ही
कह दो उनसे की न सिखा हमने वादा करके मुकर जाना

आज भी जलाते है वो यादों में आके
कभी मुस्कुरा के तो कभी पलके झुका के
न भूलेगा वोह तुम्हारा बालों का मेरे चेहरे पे गिरना...
पर कहदो उन यादों से जा के की अब मुझे न सताना


न मेरे खवाबो में आना और न मुझे रुलाना
दिल से पत्थर बना है यह इसे फ़िर से दिल बना के न दुखाना...........


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