सोमवार, 14 जुलाई 2008

वजह! हाल ऐ दिल !

ज़ख्म को दबाकर रखने कि वजह कुछ तो होगी.
हमें न बताने कि वजह कुछ तो होगी.

यूँही दिल को तसल्ली दे लेंगे वो भी.
आँख चुराने की वजह कुछ तो होगी।


तू क्यूँ है उदास उसके चले जाने पर,
उसके यूँ गुज़र जाने की वजह कुछ तो होगी।

होता है सफर ऐ जिंदगी यूँही ज़रा ग़मगीन सा,
इसमें खुशियों का झोंका लगाने की वजह कुछ तो होगी।


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