गुरुवार, 17 जुलाई 2008

Barricade के पीछे से बकरा ढूँढती पुलिस!

दिल्ली में लगातार किसी एक Biker गैंग का खौफ बना हुआ है। आए दिन कहीं न कहीं ये लोग किसीको लूट लेते हैं या किसी को क़त्ल कर देते हैं। पहले तो मुझे ये समझ नही आता कि किस प्रकार अलग अलग मामलो को किसी एक गैंग से जोड़ने की वजह क्या है? और रही ये बात कि वो किस प्रकार सड़कों पर खुले आम घूम रहे हैं क्या उन्हें रास्ते में कहीं कोई पुलिस नही मिली? जबकि दिल्ली एक ऐसी जगह है तो हमेशा आतंकियों के निशाने पर रहती हैं और यहाँ कहने के नाम पर पुलिस हमेशा एलर्ट रहती है। मगर वो जगह जगह रास्ता रोक के देख क्या रही है?

पुलिस केवल इस बात पर ध्यान देती है कि किस Biker की जेब में लाइसेंस है, किसके सर पर हेलमेट नही है। और कौन कितना पैसा देकर जाएगा। उनका ध्यान इस बात पर नही होता कि क्या इसकी जेब में कोई हथियार तो नही है?
दिल्ली में कोई भी आसानी से देख सकता है कि किस प्रकार barricade लगाकर पुलिस खड़ी होती है और केवल बिना हेलमेट और टूटी हुई bikes को ही ढूँढ रही होती है। उनका मकसद आतंकियों को पकड़ना नही होता कोई बकरा पकड़ना होता है जो १०० रुपए के जुर्माने की धमकी को सुनकर कम से कम ५० रुपए या २० रुपए तो दे ही दे।

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