कोतुहल मेरे दिमाग में उठता हुआ एक छोटा सा तूफ़ान है.जिसमें में अपने दिल में उठा रही बातों को लिख छोड़ता हूँ.और जैसा की नाम से पता चलता है कोतुहल.
शनिवार, 29 मार्च 2008
सारी दुनिया आज एक घंटे के लिये अपनी बत्तियां बुझायेगी.दिल्ली नही बुझायेगी ऐसा क्यों?
अरे भाई ज़रूरत क्या है बत्ती बुझाने की? जहाँ के लोग बुझाने वाले है वहाँ दिन में २४ घंटे बत्ती आती है और यहाँ तो कुछ ऐसा इलाके हैं जहाँ २.५ घंटे भी नही आती। यानी हम तो दुनिया के सबसे पहले देश हैं जिसको ग्लोबल वार्मिंग की सबसे ज्यादा चिंता है इसीलिए यहाँ हम बिजली देते ही नही। जब ये बात कि आज दुनिया के ज़्यादातर शहर रात में एक घंटे के लिए बत्ती बुझाने वाले हैं मैंने जब ये बात अपनी बिल्डिंग में बताई तो लोग हंसने लगे के यहाँ रात में बत्ती आएगी तो बुझाएंगे न। कुछ दिन पहले मैंने एक खबरिया चैनल पर इस बारे में बात करते एक महानुभाव को सुना उन्होंने कहा कि हमारे देश में जागरूकता की कमी हैं, अरे जनाब जागरूकता की नही बिजली की कमी है बंद करने के लिये, जहाँ बिजली आती ही घंटे के हिसाब से हैं वहाँ कोई बंद क्या करेगा? ये तो वही बात हो गई न कि ' नंगा नहायेगा क्या और निचोडेगा क्या?' और दिल्ली भी इससे अछूता नही है। यहाँ भी कईं कईं घंटे बत्ती गुल रहती है। तो यहाँ लोगों को जागरूक होने की ज़रूरत है ही नही यहाँ का बिजली विभाग काफ़ी जागरूक है ही। और यदि ये बात हमारी मुख्य मंत्री श्रीमती शीला दीक्षित जी ने सुन लिया तो समझो के दिल्ली एक घंटे के बजाये ३ घंटे तक बत्ती बुझाकर इसमें शामिल हो जायेगी.
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