सोमवार, 10 मार्च 2008

भारतीये हॉकी: धन्य हो के पी एस गिल साहब, आज फेडरेशन ने ४ हज़ार रुपये कमाए.

तो जनाब इतना शोर क्यों मचा रहे हैं यदि आज भारतीये हॉकी टीम हार गई तो अजी कुछ धनात्मक भी तो हुआ है न, क्या? अजी आपको नही पता की एक गोल खाने पर टीम पर २००० रुपये का जुर्माना लगता है। और आप कह रहे हैं की गिल साहब ने हॉकी के लिए कुछ नही किया। यार ऐसा तो मत कहो अब ज़माना बदल गया है जहाँ पहले खेलने पर पैसे मिलते थे अब हॉकी में पुलिसिया डंडा राज चलता है, गोल खाने पर जुर्माना। इसका मतलब ये हुआ कि भारतीये टीम अब फेडरेशन को ४००० रुपये देगी, यानी ४००० रुपये का फायेदा। आपने कमाई का इससे बहतर तरीका सुना है। मतलब हार भी जाओ और कमा भी लाओ। वाह ! तो जनाब क्यूंकि आजकल हॉकी संघ में पुलिसिया राज है तो सोचने कि क्या बात है। यदि आप खिलाड़ी है तो भूल जाएँ की आप की बात सुनी जायेगी और यदि आप कोई कोच हैं तो इन पुलिसवालों को सिखाने की कोशिश न करें, इसी में आपकी बह्तरी है. और हार जीत का अगर आप सोचते है की संघ पर कोई फर्क पड़ेगा तो वो भी आप भूल ही जाएं तो ही अच्छा, इन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं है क्यूंकि इन्हें कोई हटा नहीं सकता, क्यूँ? अजी आपको नहीं पता क्या की ये सरकार के दामाद हैं जिनकी खातिर हर हाल में होनी है. याद कीजिए वो दिन जब भारतीये टीम श्री लंका को ५० से ज्यादा गोल से हराया था, उस दिन किस प्रकार इस जीत का श्री लेने के लिए संघ के अधिकारियों की कतार लग गयी थी. और उसी दिन संघ न ये एलान किया था कि यदि टीम एक गोल करेगी तो उसे १००० रूपए का इनाम और यदि गोल खायेगी तो हर गोल पे २००० का जुर्माना, इसका मतलब यदि टीम ३-२ से यदि जीत भी जाती है तो उसे १ हजार रूपए का जुर्माना भरना पड़ेगा. है किसी और देश में अपने खिलाडियों का होसला बढाने का इससे अच्छा तरीका. नहीं न. अजी कहना ही क्या. जब राज पुलिस का हो तो सब ऐसा ही होता है. और हाँ यदि आपको लगता है कि पिछले १५ सालों में हॉकी का स्तर नीचे गया है तो ऐसा सोचने कि हिमाक़त मत कीजियेगा. गिल साहब नाराज़ हो जायेंगे क्यूंकि पिछले १५ सालों से संघ कि कमान उन्ही के हाथों में जो है.और गिल साहब के तो क्या कहने उनकी बात अन्तिम होती चाहे इसमें टीम का चयन कोई सी आर पी एफ का अफसर करे या कोई और. अब चाहे आज कि हार के बाद कोच जाये या उपाध्यक्ष उन्हें इससे क्या.

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