गुरुवार, 27 मार्च 2008

महंगाई ये किस देश की समस्या है?और है भी तो सरकार क्या करे?

जब से मैंने महंगाई को लेकर लेख पढ़ा है समझ नही पा रहा हूँ कि ये किस देश की समस्या के बारे में बात हो रही है? दरअसल बेकार ही आम लोग इस बारे में परेशान हो रहे हैं। न तो ये समस्या सरकार को दिखाई देती है और यदि देती भी है तो सरकार के शब्दों में इस पर काबू नही पाया जा सकता यानी कि सरकार ने हाथ खड़े कर दिया और बहाना अंतराष्ट्रिये मंदी का। और रही बात विपक्ष की तो उसके पास और भी bahot मुद्दे हैं अजी महंगाई उनका मुद्दा कहाँ? अभी तो ये देखना बाकी है कि चुनाव के दिनों में राम सेतु जैसे ज़रूरी मुद्दे को कैसे उठाया जाए। अजी रोटी का क्या है आम इंसान तो जैसे, तैसे, आधी, पूरी रोटी खा ही लेगा। मगर उनके लिए ये कोई मुद्दा थोड़े ही है। कभी कभी मैं सोचता हूँ की हम इन नेताओं को क्यूँ चुनते हैं? मगर इन्हें न चुने तो क्या करें हमें तो कोई चुनेगा नही यदि हम खड़े हो गए। और खड़े होकर जीत भी गए तो कौनसा तीर लगने वाला है वही होगा जो स्मृति इरानी के साथ हुआ ज़रासी आवाज़ हुई नही की दबा दी गई। भले लोगों को ये टिकने भी कहाँ देते हैं।
और सबसे ज़्यादा मज़े की बात तो ये है की इस बाबत कोई आवाज़ उठाने वाला भी नही है। सभी चुप हैं ,हाँ एक रिपोर्ट NDTV इंडिया पर आई थी मगर उस पर भी शायद किसी का ध्यान नही गया। हाँ कमाल खान की रिपोर्ट को कम से कम हमारे देश के प्रधान मंत्री को सीधे भेज देते तो शायद उन्हें पता चलता की देश में एटमी डील के अलावा भी कुछ मुद्दे हैं। इस देश के लोगों को रोटी भी चाहिए और कपड़ा भी जिसकी अभी काफ़ी कमी हैं।

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