हो सकता है की आज ही ऐडम गिल्च्रिस्ट भी सनथ जयसुरिया की तरह ही संन्यास ले लें। मगर IN दोनों के जाने के बाद क्रिकेट में क्या बदलाव आने वाले हैं। मुझे आज भी याद है जब मैंने अपने होश में पहली बार क्रिकेट वर्ल्ड कप देखा था। उसी साल श्री लंका की टीम न पहले १५ ओवेर्स में तेज़ी से रन बनने की रण नीति अपनाई जिसके सूत्र धार बने सनथ जयसुरिया। जिन्होंने पॉवर प्ले में गेंदबाजों के लिए आफत खड़ी कर दी जिसके बाद हर देश अपनी शुरुवाती जोड़ी को तेज़ खेलने के लिए भेजता था। और उस समय से ही हर एक मैच में ३०० से ज़्यादा रन बनने लगे। तभी शुरुवात हुई दुनिया के पहले विकेट कीपर बल्लेबाज़ ऐडम गिल्च्रिस्ट की। जिन्होंने ballers को सपने में भी आंसू बहाने के लिए छोड़ दिया। मुझे आज भी १९९९ वर्ल्ड कप का वो final मैच याद आता है जिसमें उन्होंने ज़हीर खान का बैंड बजा दिया था और जिसकी वजह से ही भारत को हार देखनी पड़ी। उनकी उपयोगिता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की इस श्रंखला में उनका बल्ला नही चला और ऑस्ट्रेलिया टीम अच्छे स्कोर के लिए तरसती रही। यही वो विकेट कीपर बल्लेबाज़ हैं जिनकी वजह से आज भारतीये टीम में महेंद्र सिंह धोनी जैसे विस्फोटक बल्लेबाज़ है। क्यूंकि ऐडम सभी विकेट कीपेर्स के आदर्श जो बन गए हैं।
सच कहूँ जिस दिन मैंने जयसुरिया का अन्तिम मैच देखा था उस दिन मुझे काफ़ी अफ़सोस हुआ की आज के बाद हम इस महान बल्लेबाज़ को सीमित ओवेरों के मैच में नही देख पाएंगे।
ऐडम और सनथ आप लोगों की ही वजह से इस खेल में उत्साह बना है और हमें आप लोग हमेशा याद रहेंगे।
कोतुहल में क्रिकेट......कबीर सारा-रा-रा-रा-रा-रारारारारारारारार...जोगी जी सारा-रा-रा-रा-रा-रारारारारारारार
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