शुक्रवार, 21 मार्च 2008

मैं न लौटना चाहता था न चाहूँगा मगर जब भी तेरी याद आएगी रो जाऊंगा!

मैं न लौटना चाहता था न चाहूँगा
मगर जब भी तेरी याद आएगी रो जाऊंगा।

न पूछना मुझसे से इसका सबब दुनिया वालों,
आंसुओं में डूबा हुआ मैं तुम्हे समझा नही पाउँगा।

ग़ज़ल लिखूंगा मैं, तराना गा लूँगा,
मैं इस तरह से अपनी उदासी को छुपा लूँगा।

बड़ा ही बेईत्मिनान सा होने लगेगा जब दिल मेरा,
तेरी बेवफाई को याद करके इसे समझा लूँगा.

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