मैं क्यों याद करता हूँ तुझे ऐ रब जब अकेला होता हूँ,
क्यों मैं याद तुझे करता हूँ जब मैं रोता हूँ।
कहना चाहूँ तो भी कह नही सकता , शायद शर्मिंदा होता हूँ,
आख़िर क्या वजह है मैं तुझे अपने ग़मों में ही याद करता हूँ।
करता हूँ तुझसे शिकायत मैं क्यों, जब अपने किए का ही फल पाता हूँ।
आखिर क्या वजह है, मैं, तुझे समझ नही पाता हूँ।
यूं तो मैं जानता हूँ कि तू रब है, मैं तेरी मर्ज़ी में दखल नही रखता,
फिर भी तुझसे अपने भले कि उम्मीद ही हमेशा मैं क्यों रखता हूँ?
काफी सुलझे प्रश्न किये हैं स्वयं से…
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
उम्दा!!!
जवाब देंहटाएंछोटी पर विचारों को व्यक्त करती।
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