बुधवार, 19 मार्च 2008

उन्हें क्या ज़रूरत थी जाने की, के कह दिया होता हम ही गुज़र जाते!

उन्हें क्या ज़रूरत थी जाने की,
के कह दिया होता हम ही गुज़र जाते।

सुलझ जाती हर एक उलझन
और वो भी गुनाह से बच जाते।

सितम होता जो हम पर
तो कह देते सबसे हम,
उन्हें कुछ मत कहना
के वो अगर होते तो हम बच जाते।

भुलावा ये बस ज़िंदगी का ही रहा था,
अगर इसमें ज़िंदगी न होती तो ये दिन न आते।

आज भी उनकी पसंद के तराने सुनता रहता हूँ मैं
वो तो आते नही मगर ये हमेशा मुझे उनके होने का एहसास दिलाते हैं।

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