बुधवार, 20 फ़रवरी 2008

जो अब किए हो दाता,ऐसा न कीजो..अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो.

कल एक गाना सुना जिसे देख कर रोंगटे खड़े हो गए सोचा सबके साथ बांटना चाहिए
क्या ख़याल है शायेर का, के जिसमें एक बेटी का दर्द बताया गया है।
फ़िल्म उम्राओ जान
उसकी कुछ पंक्तियाँ
ऐसी है

जो अब किए हो दाता , ऐसा न कीजो
अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो

हमरे सजनवा हमरा दील ऐसा तोदीन
ओ घर बसा -इन हमका रास्ता म चोदीन
जैसे की लल्ला कोई खिलौना जो पह्वे
दुई चार दिन तो खेले फिर भूल जावे
रो भी पह्वे ऐसी गुडिया न कीजो
अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो
अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो
जो अब किए हो दाता ऐसा न कीजो
अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो

ऐसी बिदाई बोलो देखि कही है
मैया न बाबुल भइया कौनु नही है
हो , आंसू के गहने है और दुःख की है डोली
बंद केवाडिया मोरे घर की बोली
इस और सपनो में भी आया न कीजो
उस और भी सपनो में भी आया न कीजो
अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो
जो अब किए हो दाता ऐसा न कीजो
अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो
अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो …

2 टिप्‍पणियां:

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  2. हर जनम मोहे बिटिया ही कीजो


    हर जनम मोहे बिटिया ही कीजो
    हर जनम मे मुझे शक्ति इतनी ही दीजो की जब भी देखू कुछ गलत , उसे सही करने के लिये होम कर सकू , वह सब जो बहुत आसानी से मुझे मिल सकता था /है /होगा । चलू हमेशा अलग रास्ते पर जो मुझे सही लगे सो दिमाग हर जनम मे ऐसा ही दीजो की रास्ता ना डराए मुझे , मंजिल की तलाश ना हो ।
    बिटियाँ बनाओ मुझे ऐसी की दुर्गा बन सकू , मै ना डरू , ना डराऊँ पर समय पर हर उसके लिये बोलू जो अपने लिये ना बोले , आवाज बनू मै उस चीख की जो दफ़न हो जाती है समाज मे। रोज जिनेह दबाया जाता है मै प्रेरणा नहीं रास्ता बनू उनका । वह मुझसे कहे न कहे मै समझू भावना उनकी और व्यक्त करू उन के भावो को अपने शब्दों मे। ढाल बनू , कृपान बनू पर पायेदान ना बनू । बेटो कि विरोधी नही बेटो की पर्याय बनू मै , जैसी हूँ इस जनम मै । कर सकू अपने माता पिता का दाह संस्कार बिना आसूं बहाए । कर सकू विवाह बिना दान बने । बन सकू जीवन साथी , पत्नी ना बनके । बाँट सकू प्रेम , पा सकू प्रेम । माँ कहलायुं बच्चो की , बेटे या बेटी की नहीं । और जब भी हो बलात्कार औरत के मन का , अस्तित्व का , बोलो का , भावानाओ का या फिर उसके शरीर का मै सबसे पहली होयुं उसको ये बताने के लिये की शील उसका जाता है , जो इन सब चीजो का बलात्कार करता है ।
    इस लिये अभी तो कई जनम मुझे बिटिया बन कर ही आना है , शील का बलात्कार करने वालो को शील उनका समझाना है । दूसरो का झुका सिर जिनके ओठो पर स्मित की रेखा लाता है सर उनका झुकाना हैं । वह चूहे जो कुतर कर बिलो मे घुस जाते हैं , बाहर तो उन्हें भी लाना है । हर जनम मोहे बिटिया ही कीजो ।
    http://mujehbhikuchkehnahaen.blogspot.com/2008/02/blog-post_07.html

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