कोतुहल मेरे दिमाग में उठता हुआ एक छोटा सा तूफ़ान है.जिसमें में अपने दिल में उठा रही बातों को लिख छोड़ता हूँ.और जैसा की नाम से पता चलता है कोतुहल.
शनिवार, 23 फ़रवरी 2008
आई पी एल में पैसों की बरसात- इंसान अपने दुःख से कम दूसरे के सुख से ज़्यादा दुखी !
अरे भाई अगर आई पी एल में खिलाड़ियों के ऊपर पैसों की बरसात हो रही है तो बाकी लोग क्यों शोर मचा रहे हैं। ऐसा लग रहा है जैसे की लोग अपने दुःख से कम औरों के सुख से ज़्यादा दुखी है। अरे भाई धोनी को शुरू में अगर ६ करोड़ मिल भी जायेंगे तो क्या हो जाएगा किसीका? अगर कोई कमा रहा है तो कमाने दो क्यों दुखी होते हो। अगर इतने पैसे लेंगे तो खेलकर चुकायेंगे भी तो वरना बाज़ार अपने आप उनकी कीमत नीचे कर देगा। जिसे देखो आज कल यही बात कर रहा है जहाँ जाओ इसी बात का ज़िक्र चल रहा है। खासतौर पर हमारे पूर्व खिलाड़ी। अरे भाई आप के ज़माने में पैसे नही मिलते थे तो उस ज़माने के खिलाड़ियों की हालत आज अच्छी नही है। इन खिलाड़ियों को पैसे मिल रहे हैं कम से कम ये लोग तो अपना भविष्य बना सकें। कम से कम इन लोगों को तो अपने लिए चैरिटी मत्चेस के लिए बी.सी आई के चक्कर तो नही लगाने पड़ेंगे।
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आज पहली वार आपके ब्लॉग पर आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ , अच्छी लगी आपकी अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंप्रोफाइल आपने अच्छा लिखा है. बढ़ते रहिए.
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