कोतुहल मेरे दिमाग में उठता हुआ एक छोटा सा तूफ़ान है.जिसमें में अपने दिल में उठा रही बातों को लिख छोड़ता हूँ.और जैसा की नाम से पता चलता है कोतुहल.
शनिवार, 16 फ़रवरी 2008
क्या भद्दी भाषा का प्रयोग करके ही हम अपनी बात को बेहतर समझा पाते हैं?
कल अपने कुछ ब्लॉगर भाइयों के कुछ लेख पढ़े. पर थोडा अफ़सोस भी हुआ की उसमें उन्होने काफी अभद्र भाषा का प्रयोग किया हुआ था. मैं न तो किसीका नाम लेना चाहता हूँ और न ही किसी को शर्मिंदा करना ही मेरा मकसद है.पर क्या लिखने की छूट का मतलब ये होगया है की आप किसी भी प्रकार की अभद्र भाषा का प्रयोग करें?
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मैं आप से सहमत हूँ। भदेस होना कुछ लोगों को जरूरी प्रतीत होता है। या तो उन की शब्दकोषीय कमजोरी है कि वे इन शब्दों के बिना अपनी बात को अभिव्यक्त नहीं कर सकते या फिर वे इसे अपने लिये सजावटी वस्तु समझते हैं।
जवाब देंहटाएंआर वर्ड वेरीफिकेशन को हटाएं। टिप्पणी करने में परेशानी होती है।
वर्ड वेरीफिकेशन को हटाएं। टिप्पणी करने में परेशानी होती है।
जवाब देंहटाएंआपकी चिंता जायज है। पता नहीं ऐसे शब्दों का प्रयोग करके लोग क्या साबित करना चाहते हैं। शायद उनके पास शब्दों की कमी है। या शायद वो खुद ऐसी ही भाषा समझते होंगे इसीलिये दूसरों को भी वही परोसना चाहते हैं। यह बंद होना चाहिये। लेकिन यह भी उन्हीं पर निर्भर है क्योंकि यहां हर कोई स्वतंत्र है। (वर्ड वेरीफिकेशन की कोई जरूरत नहीं है किस पचड़े में पड़े हैं आप?)
जवाब देंहटाएंअरे साहब इनका विरोध न करें वरना आप को भी ये मठाधीश की उपाधि देकर आपका जीना दूभर कर देंगे। इस भाषा का प्रयोग कये बिना बहस करना संभव है भला, ये ब्लॉगिंग का नया चैप्टर लिख रहे हैं, हमें बस बुत बने निहारते रहना है।
जवाब देंहटाएं(वैसे दिनेश आपके चिट्ठे के कमेंट फार्म में दिये वर्ड वेरीफिकेशन की बात कर रहे हैं जिसमें कमेंट डालने के लिये कुछ शब्द चित्र देखकर टाईप करने होते हैं। यह स्पैम से बचाव के काम आता है पर कई बार ये शब्द देखना मुश्किल होता है शायद इसीलिये हटाने को कह रहे हैं।)
गलतियां बताने के लिए साथियों का धन्यवाद..वर्ड वेरीफिकेशन हटा लिया गया है..
जवाब देंहटाएंनदीम जी, आपकी चिन्ता जायज तो है, परन्तु क्या आपने एक बात पर ध्यान दिया ? हम सदा हिन्दी भाषा में ही ऐसी भाषा से परेशान होते हैं,अंग्रेजी में नहीं । ऐसा क्यों ?
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
भाई साहब मै आपकी ब्लाक मे पहली बार आया हुं .आप ने बहुत सही बात पर चर्चा की है वाकई मे एसी भाषा का प्रयोग अनुचित है
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