शनिवार, 9 फ़रवरी 2008

मेरे आमटे, सबके बाबा, मेरे भारत रत्न, सबके बाबा।

फरवरी की सुबह उठते ही बाबा अम्टे जी कि मृत्यु कि खबर सुनी।सुनकर बड़ा अफ़सोस हुआ। तभी से सोच रहा था कुछ लिखूं पर आज जाकर मौका मिला है।
जब से बाबा के देहांत की ख़बर मिली है पता नही क्यों अजीब सा लग रहा है। पिछले दिनों बड़ा शोर मचा भारत रत्न को लेकर, सबने अपने- अपने नाम और तर्क भी दिए। दो- चार नामों पे मैंने भी विचार किया की इन्हें क्यों?
फिर किसीसे सुना की भारत रत्न उसको मिले जिसने देश हित में कोई काम किया हो। आज मुझे वो बात याद करके बड़ी शर्म आ रही है की किसीने भी बाबा आमटे का नाम क्यों नही लिया? क्या राष्ट्र हित केवल एक लाख रुपये की कार बनाकर या कुछ दिन देश पर राज करके ही पूरा होता है? क्या गरीबों , बेसहारा लोगों की मदद करने वाला इस सम्मान के लायक नही हो सकता?
बाबा आमटे जिन्होंने अपनी ज़िंदगी ऐसे लोगों की मदद और सेवा में गुजारी जिनके पास कोई जाना भी पसंद नही करता, न उद्योग पति और न ही नेतागण , बीमारी के डर से।
इस लेख को लिखने से पहले मैंने अब अक के ४२ नामों की जानकारी ली, की कहीं ऐसा तो नही की बाबा को पहले ही 'भारत रत्न' मिल गया हो। पर ४२ में उनका नाम नही था। हाँ, अबशायद मेरी ही तरह और लोगों को भी बाबा की याद आए और अगले साल मर्नोप्रांत उन्ह ये सम्मान मिले ।
क्या करें बाबा आपको टू पता ही है हमारे देश में जिंदा लोगों की क़द्र नही होती पर मुर्दे पूजे जाते हैं।
काश आपका भी सम्बन्ध किसी राजनीतिक दल से रहा होता, टू कोई न कोई आपका नाम आगे कर ही देता। पर बाबा आप महान थे, आप महान हैं और आप महान रहेंगे। बेशक कोई न माने आप मेरे लिए 'भारत रत्ना हैं'।
जय हिंद

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