कोतुहल मेरे दिमाग में उठता हुआ एक छोटा सा तूफ़ान है.जिसमें में अपने दिल में उठा रही बातों को लिख छोड़ता हूँ.और जैसा की नाम से पता चलता है कोतुहल.
सोमवार, 25 फ़रवरी 2008
चलो अब हमने भी ग़रारे कर लिए, अब हम भी गायक हो ही गए!
जैसे जैसे आजकल नए -नए गायक आते जा रहे हैं मैंने भी सोचा मैं भी ग़रारे कर के गायक बन ही जाऊँ। पहले कहा जाता था की सालों लग जाते हैं गायक बनने में मगर आजकल जैसे-जैसे गायकों की संख्या बढ़ रही है लगता है बाढ़ सी आ गई है। एक बार गुलाम अली साहब को कहते सुना था की हमने गाना सीखने में कईं साल बिताये हैं। मगर आजकल लगता है जिस प्रकार टी वी के कार्यक्रम बन रहे हैं एक दिन सारा देश ही गायक बन जाएगा। कईं बार तो ऐसा लगता है की गाने वाला केवल ग़रारे करके ही आ गया है। न तो उसने कोई तालीम ही ली है और न ही रियाज़ में वक्त लगाया है। और यदि निजी एलबम उठा के देख ली तो ये बात तय है की आप अपना सर धुन लेंगे। वहाँ तो लगता है हर पैसे वाला ही गायक बन गया है। खासतौर पे पंजाबी में। पहले हमारे गुरदास मान, हरभजन मान, दलेर महंदी जैसे दिग्गज दिखाई देते थे वही अब पता नही कौन कौन। वो भी अपने फ़ोन नम्बर के साथ। के जनाब एलबम आते ही शो के लिए बुला लीजिये। तो भाई जब इतनी मारा मारी है तो भाई हमने भी ग़रारे कर लिए हैं अब तो हम भी गायक बन ही गए हैं।
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शुरु हो जाइए हम आप को भी झेल लेगें…:)
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