कोतुहल मेरे दिमाग में उठता हुआ एक छोटा सा तूफ़ान है.जिसमें में अपने दिल में उठा रही बातों को लिख छोड़ता हूँ.और जैसा की नाम से पता चलता है कोतुहल.
शनिवार, 16 फ़रवरी 2008
हमारे नए मीडिया खली. क्या आप मिले हैं?
इनसे मिलिए ये हैं हमारे नए मीडिया खली.अजी क्या हुआ हैरान हो गए की न तो ये तस्वीर मीडिया की है और न ही खली की.अजी कहे कन्फ्यूजिया रहे हैं.यही तो हैं वो जो आजकल पहलवानों को कुश्ती के दांव पेंच सिखा रहे है.पिछले दिनों खबर आई की हमारे ग्रेट इंडियन खली यानी अपने दिलीप सिंह राणा की नयी कुश्ती होने वाली है तो चले अपने भी मीडिया के भाई लोग राणा साहब को सिखाने.क्यूँ की अब हमारे खली भी राष्ट्रिये हीरो बन गए हैं.अजी क्रिक्केटर लोगों की तरह. तो जैसे की क्रिकेट के खिलाडियों को सिखाया जाता है की बाल कैसे फेंकनी है और बल्ला कैसे घुमाना है,खली को सिखाया जाता है कि कैसे मानसिक दबाव बनाया जाता है, कौन- कौन से दांव अछे हैं, कौन से दांव किस पर भरी पड़ेंगी, क्या करना चाहिए, क्या खाना चाहिए, कौनसी कसरत करनी चाहिए, वगैरह वगैरह. कभी- कभी में सोचता हूँ कि बेकार ही खली साहब इतना पसीना बहा रहे हैं. हमारे मीडिया के लोगों को भेज दो सारी बेल्ट हमारे देश में ही आ जाएँगी.खली साहब होशियार हो जाईये क्यूँ की आपके पीछे हम भारत में नए नए खलियों की फौज खडी कर रहे हैं.
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