बुधवार, 20 फ़रवरी 2008

क्या हम पाकिस्तान को लेकर अपने सिर को ज़्यादा दर्द नहीं दे रहे हैं?

क्या हम पाकिस्तान को लेकर अपने सिर को ज़्यादा दर्द नही दे रहा हैं?
पिछले दो दिन हमारे सभी टी.व। नेटवोर्क पाकिस्तान चुनाव को समर्पित नज़र आए। किसकी सरकार बनेगी? कौन वहाँ राज करेगा? इसका भारत पर क्या फर्क पड़ेगा? अरे भाई क्या फर्क पड़ता है? पहले जब परवेज़ मुशर्रफ नही थे तो पाकिस्तान के साथ कौन से बहुत अच्छे सम्बन्ध थे? जो अब चुनाव के बाद बदल जायेंगे।
सारा दिन केवल एक ही रत पाकिस्तान चुनाव। अरे भाई क्यों इतना सर दर्द ले रहे हो और क्यों इतना बाकी लोगों को दे रहे हो? अपने देश में कौनसे कम चिंताएँ हैं?मुशर्रफ से पहले कैसे हालत थे? अब कैसे हालत हैं? आगे क्या होगा? मुशर्रफ के लिए सत्ता पलटना कौनसी नई बात है। पहले क्या जब मुशर्रफ साहब आए थे टैब क्या पाकिस्तान मेंलोक तंत्र नही था क्या? अब क्या नया हो जाएगा ? यदि उनकी पसंद की सरकार नही बनी तो उसका तख्ता पलट हो ही जाएगा.अभी भी वो पाकिस्तान के राष्ट्रपति ही हैं। अभी भी सेना में उन्ही के लोग बैठे हुए है। अभी भी सेना उन्ही के इशारे पर ही नाचती है। देखा नही था बेनजीर की मौत के बाद, सेना न कैसे केवल मुशर्रफ की ही बात सुनी थी और मानी थी, टैब कौनसी उनके पास वर्दी थी। में केवल इतना ही कहना चाहूँगा की अपने घर की फिक्र ज़्यादा करीं, दूसरों के घरों को छोड़ दें। हमारे देश में कौनसी समस्याओं की कमी है?

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