रविवार, 29 जून 2008

वो मुस्कुराकर बोले कि एक और आशिक का जनाज़ा चल दिया। हाल ऐ दिल !


यूँ शाम है, तन्हाईयाँ और तेरी याद है,

बस कमी जाम की थी, ये काम आंसुओं ने कर दिया।

वो तो बैठे थे के रुसवा करके जायेंगे हमें,

उनकी कोशिश तो क्या होती, ये काम तेरी बेवफाई ने कर दिया।

हम हैं के मरे जाते हैं खुशियों पर उनकी,

और वो हैं जिन्होंने कब्र का इंतेज़ाम भी कर दिया।

हर किसीको आ रही थी सदा हमारी,

और वो मुस्कुराकर बोले कि एक और आशिक का जनाज़ा चल दिया।

3 टिप्‍पणियां:

  1. nadeemji bhut sundar rachana ki hai. or accha likhane ke liye meri subhakamnaye.

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  2. बहुत उम्दा:

    यूँ शाम है, तन्हाईयाँ और तेरी याद है,
    बस कमी जाम की थी, ये काम आंसुओं ने कर दिया।

    ..

    जवाब देंहटाएं

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