कल का अख़बार पढ़, वैसे कुछ नया नही था हाँ अक्सर की तरह कल भी ब्लॉग का ज़िक्र अखबार में हुआ मगर कैसे ? इस बार पढ़ा की अब पत्रकार भाईयों को ब्लागरों के स्वास्थ्य के चिंता सता रही थी। अब उन्होंने ब्लोगेरी को एक मानसिक बीमारी क़रार दे दिया और ये बताया गया है कि ब्लोग्गिंग कि वजह से दो बड़े तकनीकी ब्लागरों की मृत्यु हो चुकी है। साथ में कुछ डॉक्टरों से की गई बात भी छपी गई है कि ब्लॉगर सदा अपने कंटेंट के बारे में सोचते रहते हैं जिससे उन्हें मानसिक बीमारी होने का ख़तरा बढ़ गया है। साथ में ये भी बताया गया कि इसकी वजह सो ब्लॉगर मोटापे के शिकार भी हो सकते हैं। जहाँ तक मुझे समझ आया।
अब इन लक्षणों को अपने पर आजमाने कि बारी आई में भी ज़रा अपनी हालत देख लूँ। हाँ अक्सर सोचता तो रहता हूँ कंटेंट के बारे में, तो क्या ये बीमारी है ?
ब्लॉग को दिल भी लगाया है, तो क्या ये भी एक दिल की बीमारी बन गई है?
मोटापा, नही यार अभी नही आया है। यहाँ विचारणीये कुछ नही है।
बाकी जब डॉक्टरों का ज़िक्र हुआ तो मुझे याद कि हमारी ब्लोगेर बिरादरी में भी तो कुछ डोक्टर हैं क्यों न उनसे ही इस विषय में पूछ लिया जाए।
तू क्यों भाई ब्लॉगर डॉक्टरों क्या विचार है इस विषय में आपका?
या ये अब कुछ और ही चक्कर है?????
मुझे तो फ़िक्र हो रही है उस पत्रकार की जिसने खबर बनाने के बारे में सोचते हुए.. इतने सारे ब्लॉगर्स के बारे में सोच डाला.. कही उसका मानसिक संतुलन तो नही बिगड़ गया.. मै भी हमारे डॉक्टर मित्रो से निवेदन करता हू ऐसे पत्रकारो को ठीक किया जाए वरना समाचारो का गिरता स्तर हमे कैसे प्राप्त होगा..
जवाब देंहटाएंभाई मैं डाक्टर तो नहीं हूँ पर इतना जरूर कहूँगा कि अगर ब्लागरी कोई रोग है तो ऐसे रोग से ग्रसित होना सौभाग्य की ही बात है।इसका मजा इस दुनिया से अन्जान लोगों को नहीं मिल सकता।
जवाब देंहटाएंमुझे तो फ़िक्र हो रही है उस पत्रकार की जिसने खबर बनाने के बारे में सोचते हुए.. इतने सारे ब्लॉगर्स के बारे में सोच डाला.. कही उसका मानसिक संतुलन तो नही बिगड़ गया.ब्लागरी रोग से ग्रसित होना सौभाग्य की बात है,,,,,....,,,,
जवाब देंहटाएंचलिए, पत्रकारों को ब्लागरों की चिन्ता तो सताने लगी।
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