तू तो आया नही, तेरी याद चली आई,
फिर इन आंखों में नमी चली आई।
हँस रहा था यूं तो मैं तस्वीर खुशगवार देखकर,
फिर क्या हुआ जो इस तस्वीर में तेरी झलक नज़र आई,
फिर इन आंखों में नमी चली आई।
कल पूछ रहा था डाकिया मुझसे जाते-जाते,
क्या हुआ आपकी कईं दिनों से चिठ्ठी नही आई?
फिर इन आंखों में नमी चली आई।
अब तो आईना भी मुझे चिढाने लगा है,
मुझको मेरी तस्वीर ही उसमें धुंधली नज़र आई,
फिर इन आंखों में नमी चली आई।
नज़र उठा के आसमान को जो देखा मैंने,
बादलों से झांकते हुए फिर तू नज़र आई,
फिर इन आंखों में नमी चली आई।
यूं तो सुना था बदकिस्मत है वो, जिनके हिस्से में ग़म नही होते,
मगर अपने हिस्से में ये खुशकिस्मती दामन भरके आई,
फिर इन आंखों में नमी चली आई।
हमने सोचा था के अब अश्क भी सूख चुके हैं हमारे,
मगर आज फिर एक लहर लबों तक उठ आई,
फिर इन आंखों में नमी चली आई।
बहुत सच्ची ...सुंदर...
जवाब देंहटाएंक्या बात है!! बहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंकल पूछ रहा था डाकिया मुझसे जाते-जाते,
जवाब देंहटाएंक्या हुआ आपकी कईं दिनों से चिठ्ठी नही आई?
फिर इन आंखों में नमी चली आई।
bahut khoob........bahut hi saralta se aapne apni baat kah di
bhut hi gahari kavita hai aapki. likhate rhe.
जवाब देंहटाएंभुत खूब भाई ! क्या बात है.
जवाब देंहटाएंकल पूछ रहा था डाकिया मुझसे जाते-जाते,
जवाब देंहटाएंक्या हुआ आपकी कईं दिनों से चिठ्ठी नही आई?
फिर इन आंखों में नमी चली आई।
--बेहतरीन, वाह!!
कल पूछ रहा था डाकिया मुझसे जाते-जाते,
जवाब देंहटाएंक्या हुआ आपकी कईं दिनों से चिठ्ठी नही आई?
aor aakhiri vala bhi bahut pyara laga....bahut badhiya....