हमें ऐतबार था के वो लौटकर आएगा,
बस इसी इंतज़ार में सांस को रोके रखा हमने।
हर एक वक़्त आता है ख्याल उनका हमें,
क्या उनका भी हाल यही होता होगा?
वो मुस्कुरा रहा है मेरे ज़ख्म देखकर,
के जिसके ज़ख्मो पे कभी हमने अपना दिल रख दिया था।
एक लम्हे ने बदल दी दुनिया,
के जो अपना था अब वो पराया हो गया है।
मैं आज फिर ख्वाब से डरकर उठा ,
के आज फिर तेरी बेवफाई को ख्वाब में देखा मैंने.....
मुश्किलात से बचकर कब तक भागेगा,
जब कोई याद आएगा तो तड़प जायेगा।
उसको आदत है रोकर लोगों को रुला देने की मगर,
उसके रोने का असल दर्द मालूम तो करना होगा।
हंसने की चाहत में रोना सिखा दिया,
तेरी बेवफाई ने आंसुओं का झरना बना दिया॥
करूं कैसे इज़हार ए मोहब्बत किसी और से,
के हर जगह तेरा ही चेहरा नज़र आता है।
कहने को तो खुददार मैं भी हूँ वो भी है,
मगर इस खुददारी का सिला शायद मुझे न मिले।
ये भी एक तुकबंदी से ज़्यादा कुछ नही है। पता नही किसी को पसंद आएगी भी नही।
bhut hi sundar rachana hai.likhate rhe.
जवाब देंहटाएंभाई
जवाब देंहटाएंसमझ में नहीं आया ये आपने गीत लिखा है ग़ज़ल या नज़्म.शायरी का प्रेम उपजा है मन में तो ज़रूर कोई उस्ताद कीजिये.आश्यार नहीं भाई अशआर लिखिये..एक हो तो शे’र और ज़्यादा हों तो अशआर.थॉट ज़रूर अच्छा है लेकिन उसे शायरी के शास्त्र की दरकार तो फ़िर भी रहेगी ही.
सलाह के लिए धन्यवाद. वैसे मैं ख़ुद परेशान हूँ कि ये क्या है..कुछ अलग अलग शेर थे जिन्हें साथ में लिखा है...गैप सही नहीं हो पाया.
जवाब देंहटाएंभाव बहुत उम्दा हैं.
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