वो ख़त मुहब्बत का आखिर वाला,
के जिसमें तुमने अपने दिल की सारी बातें मुझे इशारों में समझाई थी,
वो ख़त जो मैंने आज भी संभल कर रखा है,
जिसमें तुमने मुझे आखिरी बार याद किया था।
कभी कभी सोचता हूँ जला दूँ उसे,
फिर सोचता हूँ, आखिरी याद है सहेजकर रख लूँ उसे,
वो ख़त आज भी मुझे तुम्हारी याद दिलाता है,
जिसमें तुमने मुझे आखिरी बार याद किया था।
बार बार पढता हूँ आज भी उसे,
फिर उसे दुबारा उठा के दिल के करीब ले जाता हूँ,
वो ख़त आज भी मुझे तुम्हारे होने का एहसास दिलाता है,
जिसमें मैंने तुम्हे आखिरी बार महसूस किया था।
अगर नही कहूं तो झूठा बन जाऊंगा मैं,
के आज भी इन्तेज़ार तेरा कर रहा हूँ मैं,
आज भी मेरे सिरहाने रखा होता है वो ख़त,
जिसमें मैंने आखिरी बार तेरे अक्स को महसूस किया था।
जिसमें मैंने तुम्हे आखिरी बार महसूस किया था।
जवाब देंहटाएंbhut khub.ati uttam.likhate rhe.
अगर नही कहूं तो झूठा बन जाऊंगा मैं,
जवाब देंहटाएंके आज भी इन्तेज़ार तेरा कर रहा हूँ मैं,
आज भी मेरे सिरहाने रखा होता है वो ख़त,
जिसमें मैंने आखिरी बार तेरे अक्स को महसूस किया था।
--जबरदस्त अभिव्यक्ति...लिखते रहें.