रात, तन्हाई, थोड़ा अँधेरा और मेरा दोस्त, मेरा रेडियो!
परसों सभी कामों से फारिग होकर घर के एक कोने में जा बैठा, अचानक गली से रेडियो की अवाज़ कान में पड़ गई, फिर क्या दौड़कर अपना छोटा सा रेडियो ले आया। कुछ शोर मचाते stations को बदलने के बाद एक रेडियो स्टेशन पर आकर उंगलियाँ रुक गई, कोई अपना सपना बता रहा था! फिर रेडियो jockey की मधुर आवाज़ सुनाई दी जो उन जनाब के सपनो के सच होने की दुआ कर रही थी। फिर इसके बाद उन जनाब का पसंदीदा गाना बजाया गया। तन्हाई, रात, हल्का अँधेरा और रेडियो का साथ जिसपर मधुर गीत बज रहे हों, कभी-कभी क्या, हमेशा ही माहौल को रंगीन बना देता है। साथ इस पर आने वाले हर jockey, हर फरमाईश करने वाले और उसकी पसंद के बजते गानों के साथ मन अपने आप को पता नही क्यूँ जुड़ा हुआ सा महसूस करता है।
कभी हमारे एक teacher हुआ करते थे जिनकी उम्र हमसे कुछ खास ज़्यादा नही थी, लगभग हमारी ही उम्र के उनका नाम शिशु है, उनसे एक बार किसीने पूछा कि इंसान का सबसे अच्छा दोस्त कौन होता है, उन्होंने कहा "रेडियो" । इस जवाब की किसीको उम्मीद नही थी। फिर उन्होंने बताया कि किस तरह इंसान अपने आप को इससे जुड़ा हुआ महसूस करता है। अपने दिल कि हर एक बात रेडियो पर कॉल करके बताते है और किस तरह रेडियो पर बोलने वाले सबकी बातों को ध्यान से सुनते हैं और अपनी राये देते हैं। और सबसे बड़ी बात ये ऐसा दोस्त हैं जिसपर अमीर-गरीब, छोटे-बड़े, किसी भी चीज़ का फ़र्क नही पड़ता। इसको एक रिक्शा चलने वाला भी सुनता है और इसको उच्च पदों पर बैठने वाला भी सुनता है। और वाकई आज जब मनोरंजन के इतने साधन हैं वहाँ अभी भी रेडियो का अपना महत्व और पसंद करने वाले हैं।
आज भी ऐसे लोगों को कमी नही है जो रेडियो पर ख़त लिखकर अपनी पसंद के गाने बजने का इन्तेज़ार करते हैं और अभी भी सुनने वालों कि जब लिस्ट होती है तो अपने पूरे मुहल्ले का नाम लिखते हैं और हाँ जब वो गाने बजें तो पूरा मोहल्ला या कहूँ गाँव बैठकर उसको सुनता है और अपना नाम भी सुनता है। हाँ भले ही अब खतों की जगह काफ़ी हद तक फ़ोन ने लेली हो मगर सुनने वालों की उत्सुकता कम नही हुई है। शायद रेडियो आज भी आम आदमी से जुड़ने का सबसे आसान तरीका है। बस कमी ऐसे रेडियो stations की है जो शोर को कम रखें और लोगों से जुड़ने वाले प्रोग्राम बनाये।
बाक़ी रेडियो से जुड़ी तो काफ़ी बातें हैं जो आगे भी जारी रहेंगी।
bhut hi aacha lekh.likhate rhe.
जवाब देंहटाएंये तो आपने सही फरमाया है कि रेडियो से अच्छा साथी कोई नही है।
जवाब देंहटाएंआज भी ऐसे लोगों को कमी नही है जो रेडियो पर ख़त लिखकर अपनी पसंद के गाने बजने का इन्तेज़ार करते हैं
जवाब देंहटाएं-बिल्कुल सच कह रहे हैं.