तो जनाब कल रात को हमने देखा IPL का शानदार final मैच जिसमें राजस्थान के रणबाँकुरों ने जीत हासिल की ओर ये प्रतियोगिता कामयाबी के साथ समाप्त हुई। बेशक इसमें बीसीसीआई ओर IPL के अधिकारियों का बड़ा हाथ है। ओर इसका श्रेय लेने वालों की कोई कमी नही है। मगर सवाल ये उठता है कि जब इतनी मेहनत बीसीसीआई ने की है तो मैं ICL को इसका श्रेय क्यों दे रहा हूँ? तो जनाब यदि ICL अपनी लीग लेकर नही आता तो बीसीसीआई इतनी जल्दी अपनी ये महा लीग लेकर नही आती। यदि कपिल देव जी ओर सुभाष चंद्र ने बगावत नही की होती हमारे इन नए चेहरों जिनका हम आजकल गुणगान कर रहे हैं, ये इसी तरह मैदान की गर्त में कहीं खोये रहते। क्यूंकि हमारी महाधनी बीसीसीआई को खिलाड़ियों को न तो धनी बनाने में कोई दिलचस्पी थी ओर न ही इनको कामयाब बनाने का शौक ही। बीसीसीआई की ये लीग तो केवल अपने एक छत्र वर्चस्व को बनाये रखने की ही कोशिश थी जिसमें वो कामयाब भी हो गई।
इसीलिए मेरी नज़र में हमें बीसीसीआई के साथ साथ ICL को भी इसका श्रेय देना चाहिए।
हाँ अब अगर ये बात बीसीसीआई माने तो उसे उन खिलाड़ियों पर लगा बन हटा देना चाहिए जो ICL में खेलते हैं ताकि उनके लिए भी भारत की राष्ट्रिये टीम में जगह पाने की उम्मीद बने। हालांकि ये बात तय है कि बोर्ड ऐसा करने वाला नही है। मगर इस बारे में विचार तो करना ही चाहिए।
apse sahamat hun . dhanyawaad
जवाब देंहटाएंबिल्कुल ठीक कहा है आपने। अगर icl ना होता तो ये ipl भी नही होता।
जवाब देंहटाएंसही कह रहे हैं.
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