यूँही बैठे हुए अपने ब्लॉग पर कुछ कोतुहल उतार रहा था इतने में एक पढ़े लिखे जनाब आ गए। बोले," क्या कर रहे हैं हिन्दी में लिख रहे है आप तो"। ये कहकर जनाब ने हँसना शुरू कर दिया। अब जनाब हिन्दी भाषी है तो हमने भी बता दिया के, "भइया मैं उस भाषा में लिखता हूँ जिसे मेरे देश के करोड़ों लोग बोलते और समझते हैं।"
अब अगला सवाल क्या आपको अंग्रेज़ी नही आती है? अब इस सवाल का जवाब उसे मेरे आलावा मेरे पास बैठे सभी लोगों ने दे दिया।
फिर मैं सोचने लगा यार इसके पूछने का मतलब क्या था और वजह क्या थी? क्या ये मुझे या हम हिन्दी में लिखने वालों को कुछ कमतर समझ रहा है? फिर तो मैंने मन बना ही लिया जय अब तो जनाब को हिन्दी साहित्य से अवगत कराना ही पड़ेगा। बस फिर क्या है धीरे धीरे हिन्दी ब्लॉग पढने की लत लगा दी है, अब किसी न किसी दिन जनाब का भी ब्लॉग पढने को मिलने वाला है..वो भी हिन्दी में।
wah kya baat hai maja aa gya.aise hi sabko sabak sikhate rahiye
जवाब देंहटाएंसही रोग लगाये हैं बाबू.. देखियेगा बहुत गालियां खाएंगे उनसे आगे जाकर.. :D
जवाब देंहटाएंहम हिन्दी भाषी किसी भाषी से कमतर नही है हमे अपनी हिन्दी भाषा पर गर्व है .
जवाब देंहटाएंहम हिन्दी भाषी किसी भाषी से कमतर नही है हमे अपनी हिन्दी भाषा पर गर्व है .
जवाब देंहटाएंसही अटकाया है-इन्तजार करेंगे उनका. :)
जवाब देंहटाएंसही किया.
जवाब देंहटाएं"सठे साठ्यम समाचरेत."