आज मैं यहाँ प्रकाशित कर रहा हूँ अपनी एक मित्र निदा अर्शी की लिखी एक कविता जिसमें पानी के बारे में बताया गया है। के ये पानी हमारी जिंदगी में कहाँ शामिल है। मुझे उम्मीद है इन्हे भी सराहा जाएगा।
आँखों की नमी है पानी, नदी की लहर भी पानी,
पानी ज़म-ज़म है तो, गंगा जल भी है यही पानी,
हर किसी की आस्था का निशान भी है पानी,
ज़िन्दगी की शुरुआत है पानी तो,
इसका अंत भी है यही पानी,
पानी शीतल है, पर,
नाली में बद-शक्ल भी हुआ है यही पानी,
आँखों से गिरा तो जज़्बात है बना यह पानी,
और कभी मोती की माला बन कर सजा भी यही पानी,
खुद तो बे-रूप और बे-रंग है पानी,
जिस दिशा धरा ले चली उसी ओर मुडा यह पानी,
जिस रंग में मिलाया उसी रंग में रंगा भी यही पानी,
आकाल में तरसाए भी यही पानी,
और बाढ़ में क़हर ढाये भी यही पानी,
लोगो को बनाये और मिटाए भी यही पानी,
लोगो को मिलाये और दूर भी ले जाये यह पानी
बारिश की ठंडी बूंदे भी है पानी,
और इन्द्रधनुष के रंग भी है यही पानी,
आज मैला और गद्दिला हुआ है यह पानी,
पर आज भी ज़िन्दगी की डोर है यही पानी,
ख़ुशी में आँख से झलका वो भी पानी,
और जब दिल रोया तो वो भी पानी,
इस तरह ……आँखों की नमी भी पानी……और नदी की लहर भी पानी……
निदा अर्शी
आँखों की नमी है पानी, नदी की लहर भी पानी, vha kya baat hai.apni dost se kahiye asi rachanye karti rhe.
जवाब देंहटाएंजिंदगी का हर रंग है पानी
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया. निदा अर्शी जी और आपको बधाई.
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