कुछ दूरियों का एहसास है।
न वो पहले जैसी बात है।
बंदिशे महसूस होने लगी है।
न वो पहले जैसी बात है।
बंदिशे महसूस होने लगी है।
न जाने इसके पीछे क्या राज़ है।
दिल कुछ परेशान तो ।
क्या इन सवालों का जवाब किसी के पास है?
या यह सिर्फ़ उन बीते हुए लम्हों की याद है।
जो न बीतेंगे दोबारा बस रह जायेंगे याद बन कर ।
हसाएंगे तो रुलायेंगे भी।
तुम रहो न हमारे पास,
यादें तो ज़िंदा रहेंगी ही,
हम रहे या न रहे।
हमारी याद तो रहेगी ही........
bhut sundar. likhati rhe.
जवाब देंहटाएंबिल्कुल जी.सबकुछ खो जाए,सबकुछ मिट जाए पर याद तो रहती ही है,
जवाब देंहटाएंआलोक सिंह "साहिल"
बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
सुंदर रचना। वाह,वाह वाह। लिखते रहें।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!
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