शुक्रवार, 29 अगस्त 2008

फिर ये प्यार इशारों से जताते क्यूँ हो? हाल ऐ दिल!

भूलना चाहते हो जब मुझको,
फिर ख़्वाबों में आते क्यूँ हो?
जब नही है मुहब्बत हमसे,
फिर ये प्यार इशारों से जताते क्यूँ हो?

हम सीख ही लेंगे जीना, तन्हा तुम्हारे बिन ऐ सनम,
तुम इस क़द्र, अपनी महफिलों पे इतराते क्यूँ हो?

करना था तो, सामना डट कर किया होता,
यूँ बेवफाई करके, मुँह को छुपाते क्यूँ हो?

मैं नही जानता, क्यूँ तेरी बात किया करता हूँ सबसे,
पर तुम उन सबसे, मुझे पूछने आते क्यूँ हो?

करके हैरान उसको, जिसने हमें मिलाया था कभी,
तुम उसकी चौखट पे, सर को झुकाते क्यूँ हो?

और जाना है तो, चले क्यूँ नही जाते,
लौटके आने का बहाना, यूँ बनाते क्यूँ हो?

भूलना चाहते हो जब मुझको,
फिर ख़्वाबों में आते क्यूँ हो?
जब नही है मुहब्बत हमसे,
फिर ये प्यार इशारों से जताते क्यूँ हो?

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