शनिवार, 23 अगस्त 2008

खोने का ग़म क्या जब उसे पाया ही न था

खोने का ग़म क्या जब उसे पाया ही था
हमने तो उसे अपना माना पर उसने अपना बनाया ही था

परवाने की मौत का ग़म क्या उसकी किस्मत में जल जाना ही तो था
शमा से गिला केसी आखिर उसका मकसद उसे जलना तो था

रेत के का क्या उन्हें तो ढेह जाना ही तो था
सपनो के अशिआने का क्या तुम्हे नींद से उठ जाना ही तो था

ज़िन्दगी का ग़म कैसा आखिर उसे मिटjजाना ही तो था
मौत का खौफ कैसा उसे आना ही तो था

जो किस्मत में था उसे खो जाना ही तो था.........................

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