शुक्रवार, 8 अगस्त 2008

वो मेरा चैन लूटकर फिर से जाएगा : कुछ मेरी डायरी से!


वो मेरा चैन लूटकर फिर से जाएगा,
ये पता भी है मगर फिर भी एतबार कर रहे हैं हम,
लगता है बहुत ज़िन्दगी खुशियों में गुज़ार ली हमने,
जो फिर ग़मों को सलाम कर रहे हैं हम।


कर रहे हैं उसी बेवफा पे यकीन फिर से,
के फिर से उसे बवफा कह रहे हैं हम.


मेरी ग़लतियों को माफ़ कर देना दोस्तों,
के मौत से पहले आखिरी सलाम कर रहे हैं हम।


यूँही बैठा हुआ था तो फिर ख़याल उनका आगया यारों,
वरना यूँही नही दिल उदास कर रहे हैं हम।


कल कर रहा था शोर कौवा छत पर भी हमारे,
हमने कहा अब मेहमां का नही, मौत का इन्तेज़ार कर रहे है हम।

3 टिप्‍पणियां:

  1. वो मेरा चैन लूटकर फिर से जाएगा,
    ये पता भी है मगर फिर भी एतबार कर रहे हैं हम,
    लगता है बहुत ज़िन्दगी खुशियों में गुज़ार ली हमने,
    जो फिर ग़मों को सलाम कर रहे हैं हम..

    bahut sunda rachana. badhai

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  2. अच्छा लिखा है। बधाई स्वीकारें।

    जवाब देंहटाएं

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