इन्तेज़ार मुहब्बत की किस्मत क्यूँ है?
और अगर है, तो ये मुहब्बत क्यूँ है ?
और अगर है, तो ये मुहब्बत क्यूँ है ?
क्यूँ नही मिलता जवाब इन सवालों का,
मुहब्बत के बिना ये जिंदगी अधूरी क्यूँ है?
करता हूँ ये सवाल मैं इस सारे जहान से,
ये मुहब्बत के साथ जुदाई, हकीक़त क्यूँ है?
क्यूँ नही रह सकता कोई मुहब्बत के बिना,
जब पता है इसकी किस्मत में बस ग़म ही ग़म हैं?
क्यूँ नही रह सकता कोई मुहब्बत के बिना,
जवाब देंहटाएंजब पता है इसकी किस्मत में बस ग़म ही ग़म हैं?
बहुत ही प्राचीन पर उतना ही नवीन सवाल है।
जानते है हम एक दूसरे को,
जवाब देंहटाएंफिर हममे दूरी क्यू है,
इसमे समर्पण हो बस,
रिश्ते का नाम ज़रूरी क्यू है,
खुशी से दोस्ती चाहते है
फिर गम से शिकायत क्यू है