कोतुहल मेरे दिमाग में उठता हुआ एक छोटा सा तूफ़ान है.जिसमें में अपने दिल में उठा रही बातों को लिख छोड़ता हूँ.और जैसा की नाम से पता चलता है कोतुहल.
रविवार, 17 अगस्त 2008
जब बॉस की खिंचाई का मौका मिल जाए!
ऐसा कितनी कम बार होता है कि आप को बात बात पर टोकने वाला आपका बॉस कहीं, खासतौर पे किसी मीटिंग में बाकी स्टाफ के पीछे पड़ा हो और उस समय आपको मौका मिल जाए उसकी खिंचाई करने का, तो सोचिये कैसा मज़ा आता है.
मेरी पहली जॉब थे। उस समय मैं एक कॉल सेंटर में था और एक बड़ी टेलिकॉम कंपनी के कस्टमर केयर में था, ज़ाहिर सी बात है कस्टमर केयर में था लोगों की सेवा मेरा कर्तव्य था। अलग बात ये है कि हम केवल लोगों की सेवा में विश्वास रखते थे, मगर अपने बॉस कि जी हुजूरी नही बजाते था। तो जनाब पहले ही हमारे अपने बॉस से ऐसे रिश्ते थे जैसे भारत और पाकिस्तान के,मतलब मिलते तो थे मगर हमें पता है उनके ह्रदय में हमारे लिए ज़बरदस्त श्लोक चल रहे होते थे। उस पर वो हमें निकल पाने में अक्षम था कारन अपना मस्त रिकॉर्ड जिसमें ऑफिस के लोगिन टाइम के अलावा सब हरे रंग से रंग होता था और साथ में बेस्ट performer में नाम भी। तो जनाब अक्सर इस चक्कर में रहते थे कि इन्हे कुछ कहने को मिल जाए, मगर हम कहाँ किसीके हाथ आने वाले।
मौका उसे तब मिल गया जब टेलिकॉम कंपनी से शिकायत आई के हमारे सेंटर में ज़्यादातर लोग CRM के एक ख़ास header से कुछ ज़्यादा ही मुहब्बत करते हैं और जो समझ नही आता उसे एक ही header में डाल कर उसकी entry कर देते हैं। हमें एक बात और बताई गई थी कि यदि किसी ग्राहक को अपना फ़ोन नम्बर याद न हो तो उसकी तकनीकी शिकायत को आगे न बढाया उससे कहा जाये को वो अपना नंबर याद करके या पता करके संपर्क करे और उसकी एंट्री CRM के अलग एक सामान्य हेडर में दर्ज कर दिया जाये.मज़े की बात ये थी कि ये बात हमारे बॉस को पता नहीं थी.
अब शिकयत के बाद हमारे बॉस ने हमें एक कक्षा में बुलाया और लगे सबकी खिंचाई में। मजेदार बात ये थी कि हमारे टीम लीडर पूरी तरह से सारे प्रोसेस को समझता था और उसके पास सबकी परफोर्मेंस रिपोर्ट भी होती थी और कौन क्या और कितना जानता है उसे पता था तो वो पहले में मेरे पास बैठा था. सब से होते हुए बात मेरे पास पहुंची कि "नदीम जी आपके पास ये कॉल आई थी और आपने लिखा है कि ग्राहक की ये परेशानी है और उसे कहा गया कि नंबर लेकर कॉल करे. जब आपको उसकी परेशानी पता थी तो पहले तो आपने उसकी शिकायत को आगे क्यूँ नहीं बढाया और उसकी CRM में एंट्री आपने इस हेडर में क्यूँ की?" इतना कहना था और हमारे बॉस साहब सीना चौडा करके सबकी तरफ देखने लगे और शायद सोच रहे हो कि आज तो मैंने नदीम को पकड़ लिया है और इसकी खिंचाई होगी. मगर मैंने आगे से एक सवाल दाग दिया कि "आप ही बताईये जब ग्राहक को अपना नंबर ही पता नहीं था और वो कॉल दुसरे नंबर से कर रहा था यदि में शिकायत को आगे बढा देता तो क्या उस पर कोई कार्यवाही होती? मैंने आगे कहाँ कि कोई और समस्या होती तो में एक dummy नंबर लेकर उस पर शिकायत दर्ज करके आगे बढा देता और alternate नंबर कि सहायता से बाद में हम उसका नंबर लेकर उसकी परेशानी को हल कर सकते थे". आगे से जनाब ने पता नहीं क्या सोचा और बोले तो कर देते dummy नंबर में शिकायत दर्ज. इतना बोलना था और सारे कमरे में ठहाके गूंजने लगे. अब भी बॉस को पता नहीं चला कि क्या हुआ है तो उन्होंने हमारे टीम लीडर को देखा और उसने कहा सर पहली ही लाइन में लिखा है टेक्नीकल प्रॉब्लम तो इसमें ये क्या करता? सही जवाब दिया और सही जगह एंट्री कर डाली.अगर ये इसकी शिकायत कर देता तो आप ही इसे पकड़ लेते. काफी देर तक कमरे में हंसी बंद नहीं हुई और बाद में उन्होंने कहा यार तुम लोग ख़ुद ही इस समस्या को discuss कर लो मुझे बाद में बता देना और वो निकाल लिए. इसके बाद क्या discuss होना था? बस यही discuss होता रहा कि बॉस के चेहरे का रंग कैसा हो गया था और वो कैसे घबराए हुए से नज़र आ रहे थे.
उस दिन के बाद वो मेरे सामने आते तो कहते नदीम जी कोई समस्या तो नहीं है, ज़रा इन नए executives को देख लिया करो और सारे नए लोगों को मुझसे ज़रूर मिलवाते थे। हाँ लड़कियों से हम पहले ही मिल लिया करते थे.:)
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भई मजा आया पढ़ने मे। और बॉस के रिएक्शन पर भी। ऐसे कई बॉस होते हैं मेरे भी हैं। मजा आता है ऐसे वक्त में।
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