यादों से भरी इस दोपहरी में
खिड़की से आती रोशनी के बीच
कुछ धुंधले से साए दिखाई देते है.....
वो कभी अपने तो कभी पराये दिखाई देते है...
दिन की रोनक के बीच भी
आज कुछ अकेल सी महसूस होती है
आस पास गूंजती आवाजों में वो गीत पुराने सुनाई देते है...
वो कभी अपने तो कभी पराये दिखाई देते है.....
दिन की तपती धुप में भी
इश्क के ठंडे साए है
दिन के उजाले में भी उन्हें दुनिया से छुपाये बेठे है...
वो कभी अपने तो कभी पराये दिखाई देते है.....
सुबह से शाम हो गई
और फ़िर यह दिन भी ढल जाएगा
हम भुजती शमाओं के बीच इन्तेज़ार की लौ जलाये बैठे है...
वो कभी अपने तो कभी पराये दिखाई देते है.....
उनके पैगामों के इन्तेज़ार में पलके बिछाये बैठे है...
आस पास होती हर दस्तक पे दिल धड्काए बैठे है....
कहने को तो कोई रिश्ता नही बाकी...
पर क्यों वो आज भी कुछ पराये तो कुछ अपने दिखाई देते है.......
खिड़की से आती रोशनी के बीच
कुछ धुंधले से साए दिखाई देते है.....
वो कभी अपने तो कभी पराये दिखाई देते है...
दिन की रोनक के बीच भी
आज कुछ अकेल सी महसूस होती है
आस पास गूंजती आवाजों में वो गीत पुराने सुनाई देते है...
वो कभी अपने तो कभी पराये दिखाई देते है.....
दिन की तपती धुप में भी
इश्क के ठंडे साए है
दिन के उजाले में भी उन्हें दुनिया से छुपाये बेठे है...
वो कभी अपने तो कभी पराये दिखाई देते है.....
सुबह से शाम हो गई
और फ़िर यह दिन भी ढल जाएगा
हम भुजती शमाओं के बीच इन्तेज़ार की लौ जलाये बैठे है...
वो कभी अपने तो कभी पराये दिखाई देते है.....
उनके पैगामों के इन्तेज़ार में पलके बिछाये बैठे है...
आस पास होती हर दस्तक पे दिल धड्काए बैठे है....
कहने को तो कोई रिश्ता नही बाकी...
पर क्यों वो आज भी कुछ पराये तो कुछ अपने दिखाई देते है.......
बहुत उम्दा...वाह!
जवाब देंहटाएंयादों से भरी इस दोपहरी में
जवाब देंहटाएंखिड़की से आती रोशनी के बीच
कुछ धुंधले से साए दिखाई देते है.....
वो कभी अपने तो कभी पराये दिखाई देते है..
सुंदर...अति उत्तम।।।।।
दिन की तपती धुप में भी
जवाब देंहटाएंइश्क के ठंडे साए है
दिन के उजाले में भी उन्हें दुनिया से छुपाये बेठे है...
वो कभी अपने तो कभी पराये दिखाई देते है.....
क्या बात साहब आपने कमाल लिखा है, वाह!