एक गुज़ारिश है तुमसे, अगर इजाज़त हो,
बस इतना करदो, के अब ख्वाबों में न आया करो।
रहने दो मुझे, जिस तरह जी रहा हूँ मैं,
दूसरों से मेरा हाल, पूछने न आया करो।
हो जाता हूँ बेचैन जिस रात, तुम आ जाते हो ख़्वाब में,
मुझको यूँ उठाकर, तुम न यूँ सो जाया करो।
एक गुज़ारिश है तुमसे, अगर इजाज़त हो,
बस इतना करदो, के अब ख़्वाबों में न आया करो।
बहुत बढिया.लिखते रहें.
जवाब देंहटाएंनदीम भाई बहुत भावुक कविता हे, धन्यवाद
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