हाँ तो जब सब लोग लगे हुए हैं लंगडे की टांग खींचने मैंने भी सोचा में भी हाथ लगा दूँ। तो आज हुआ ये की ऊँट पहाड़ के नीचे आगया। जहाँ मुर्दा पिच पर हम शेर होते हैं वहीं जानदार पिच पर हम बिल्ली। और दोस्ती इतनी पक्की कि किसी भी दोस्त को ड्रेसिंग रूम में अकेला नही रहने देते। तभी तो तू चल मैं आता हूँ कविता गई जाती है। वैसे ज़यादा बुरा कुछ भी नही था कोई भी हमेशा अच्छा नही खेल सकता इसी लिए कहा जाता है कि कभी का दिन बड़ा कभी की रात बड़ी। और कुछ नही. कमी हम चाहने वालों ही की है जो इन लोगों को एक अच्छे प्रदर्शन पर आसमान देते हैं इसी लिए इनके ख़राब खेलने पर हमें गुस्सा आता है। अच्छा यही है कि इन्हें खेलने दो और आसमान पर मत बिठाओ।
ये टेस्ट मैच है और इसमें कुछ भी हो सकता है। दरअसल ये खेल एक एक session का होता है जिसमें कुछ भी हो सकता है। एक session उनका अच्छा और एक session हमारा सब बराबर हो जाएगा।
अभी तो शुभकामनाओं के सहारे हैं.
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