ऐ मेरे दोस्त न समझना मुझको नादां,
के हमने भी दिल में उतरने का फन सीखा है।
एक तुम्ही नही हो हर चीज़ पे हावी,
हमने भी ज़िंदगी का तमाशा देखा है,
वो तेरे कहने से मान जाएगा मैं जानता हूँ,
उसको मनाने के लिए मैं नही कहने वाला,
उसने अगर तडपाने का हुनर सीखा है,
हमने भी तड़पने का हुनर सीखा है।
हर जगह है वो मौजूद,
इसमें कहने की क्या ज़रूरत है?
वो तो ख़ुदा है तुम्हें पता नही?
उसको न किसी ने देखा है।
कह रहे हैं हम अब सुबह-शाम, रात-दिन ये,
हम भी बन्दे हैं तेरे, ऐ रब तेरे चाहने वाले हैं,
पर ऐसा है क्यों के तू ,
कुछ चुनिंदा लोगों के ही घरों में ही बैठा है?
मुझे कुछ लोग कहते हैं,
के बस मैं शिकवा ही किया करता हूँ,
पर तेरे दर के सिवा,
न कोई दूसरा दर मैंने देखा है।
गर दर्द दिया है तो तूही दवा देगा,
ऐसा मैंने तेरे कलाम में कहीं देखा है।
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