पता नही आरक्षण से किसका फायेदा होने वाला है। शायद केवल हमारे कुछ नेताओं का। क्यूंकि जिनके लिया वो आरक्षण की मांग कर रहे हैं उस गुट में से शायद कुछ एक ही होंगे जिन्हें इसका फायेदा मिलेगा मगर ज़्यादा बुरा उन लोगों के साथ होगा जिन्हें अब अपने ही साथियों के बीच बैठने में परेशानी आयगी। सरकार ने जिन लोगों को फायेदा दिया है उसमें कमज़ोर तबका इसका लाभ ले नही पायेगा क्यूंकि केवल आरक्षण मिलने भर से जो इन बड़े बड़े संस्थानों के खर्चे हैं वो कम नही होंगे और उन गरीब घरों के बच्चे जो कक्षा १० से आगे बढ़ने के बारे में सोचते ही नही और सोचते भी हैं तो उन्हें सुविधाएं या कहें कि पैसे ही नही मिलते कि अच्छी जगह जाकर पढाई कर सकें और मोटी मोटी फीस का बोझ उठा सकें। हाँ जो लोग उठा सकते हैं उन्हें इसमें शामिल नही किया गए क्यूंकि वो इतने साधन संपन्न हैं कि उन्हें किसी आरक्षण की ज़रूरत नही है। यानी वो क्रेमी layer में आते हैं। अब सवाल ये उठता है कि ये आरक्षण है तो किसके लिए? ये केवल नेताओं के लिए ही है जो इतना शोर मचाते हैं और लोगों को केवल दिखाना चाहते है कि उन्होंने कुछ किया है।
पहले सरकारी नौकरियों में आरक्षण,अब पढाई में आरक्षण इरादा तो अब ये है कि निजी कंपनियों में भी आरक्षण किया जाए। आज हम किसी सरकारी कम्पनी में काम सरकारी कम्पनी में काम मांगने जाते हैं तो वहाँ सब से पहले अपनी जाती लिखनी पड़ती है, यदि आरक्षण निजी कंपनियों में आएगा तो वहाँ भी वही जाती का घिनौना संसार बन जाएगा जो हम कभी कभी सरकारी दफ्तरों में देखते है जहाँ अगडी जाती और पिछड़ी जाती के लोगों की कैंटीन तक अलग अलग होती है। यानि यहाँ भी ये नेता लोग हमें बांटने की साजिश कर रहे हैं। आज नौकरी के लिए जाते वक्त हमसे नही पूछा जाता की हमारा धर्मं कौनसा है और क्या जाती है इतने प्रोफ़स्सिओनल् ज़माने में भरती विभाग केवल योग्यता ही देखता जिसकी वजह से आज हमारे देश कि कंपनियां दुनिया भर में नाम कम रही हैं। मगर यदि आरक्षण लागू हो गया तो इन कंपनियों को उसके अनुसार कार्य करना पड़ेगा जिसमें इनसे कायं अच्छे कामगार छूट जायेंगे । क्यूंकि आरक्षण लागू होने के बाद इन्हे इसका हिसाब रखना पड़ेगा कि कम्पनी में कितने छोटी जाती के लोग हैं और कितने अगडी जाती के मतलब यदि पिछड़ी जाती का कोटा पूरा होगया और एक ऐसा उम्मीदवार आया जिसकी योग्यता बहुत अच्छी है तो भी ये लोग उसे नही रख पाएंगे क्यूंकि कोटा पूरा हो गया है और उसका नंबर कट गया है। जिसका सीधा सीधा असर कंपनियों की सेवाओं पर पड़ेगा। साथ ही जिन काम करने वालों पर इसका बुरा आसार पड़ेगा उनमें नफरत और भी बढ़ जायेगी। यानी लोग साथ रहने की बहाए एक दूसरे से कट कर रहने लगेंगे।
लेकिन समाज को एकरूप करने के लिए वक्ती अन्याय भी जरूरी है.
जवाब देंहटाएंआरक्षण: फायेदा किसका? नेताओ का ,ओर किसी का नही.
जवाब देंहटाएंफायदा अर्जुन सिंह जैसे नेताओं का और किसका?
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