आज फिर परेशान हूँ क्यों?
जब पता है कि वो नही आने वाला,
उसके इंतज़ार में इन आंखों को मैंने बिछाया है क्यों?
न जाने क्या है जो मुझे मजबूर करता है तुझे देखने के लिए
जब पता है कि अब तेरी तस्वीर भी मुझसे मुंह चुराने लगी है,
फिर तेरी निगाहों के दीदार को तरसता हूँ क्यों?
है तो सदमा मुझे तुझसे बिछड़ने का सनम,
पर इस ज़माने के सामने कैसे कहूं,
अपने इस दुश्मन ज़माने से दिल का शिकवा करूं क्यों?
भाई अब परेशान न हो बहुत बढ़िया कविता है बधाई
जवाब देंहटाएंनदीम भाई बहुत खुब..
जवाब देंहटाएंन जाने क्या है जो मुझे मजबूर करता है तुझे देखने के लिए
जब पता है कि अब तेरी तस्वीर भी मुझसे मुंह चुराने लगी है,
लेकिन प्यार भरा दिल जो ठहरा कम्बखत यह तो मानता ही नहि
धन्यवाद