पिछले कुछ दिनों से जब भी लिखने के लिए बैठता हूँ कोई सूझता ही नही कि क्या लिखूं। आज बड़ी मुश्किल से चंद पंक्तियाँ अपनी डायरी से उतारी भी मगर मज़ा नही आया कुछ उसमें से मिटा दीं और जो कुछ बचा पोस्ट कर दिया। पता नही क्या वजह है आजकल लिखने का मन नही करता। कभी-कभी लिखने के लिए कोई विषय नही मिलता तो कभी न जाने क्यों सोचता हूँ कि इस विषय पर न लिखूं। पहले मैं सोचता था कि जब भी मन करे लिख डालो मन थोड़ा हल्का हो जाता है, अपने दिल से बात भी निकाल जाती है, मगर आजकल मन नही लग रहा।
क्या करें जब लिखने का मन भी न करें?
इससे बाहर निकलने का समय भी आयेगा.. आप इंतजार करें..
जवाब देंहटाएंक्षणिक दौर है। आता रहता है। सबके साथ ऐसा ही होता है। फिलहाल मौन हो जाइए। अपने-आप ही कुछ दिन में नए विचार तैयार हो जाएंगे।
जवाब देंहटाएंअरे लिखने का मन नहीं कर रहा तो मत लिखिए... कहीं और मन लगाइए... और एक बार कहीं मन लग गया, तो फिर लिखने का भी मन करने लगेगा... अभी तो आप कहीं और मन लगाने की कोशिश करें.
जवाब देंहटाएंकोई बात नही। अक्सर ऐसा होता है और सभी के साथ होता है। थोड़ा आराम और फ़िर वापिस आ जाइए।
जवाब देंहटाएंकुछ समय को लेखन स्थगित रखें-अपने आप वापस ले आयेगा यह आपको. शुभकामना.
जवाब देंहटाएंअरे लिखने का मन नहीं कर रहा तो मत लिखिए, हा तो फ़िर टाईप कर लो,
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