अंत मैं ये बात अब जग ज़ाहिर हो ही गई की भारतीये किसी के मरने के बाद शरीर का पोस्ट मार्टम क्यों नही कराते। और ये पता चला भी तो ब्रिटिश पुलिस को स्कारलेट हत्या काण्ड के बाद। उनकी जांच के अनुसार वो लोग इस हत्या काण्ड की जांच नही कर सकते क्यूंकि जांच के लिए शरीर में ज़रूरी अंग हैं ही नही। यानी न तो कोई किडनी है, नही ही uterus और न ही stomach है। इतने संवेदन शील मामले में भी हमारे एक्सपर्ट अपनी करतूत से बाज़ नही आए और उन्होंने ऐसा किया. साथ ही उन्होंने ये चीज़ कि अंग हटाये गए है अपनी रिपोर्ट में दिखाया भी नही। अब किडनी की कमी से दृग्स की जांच में मुश्किल होगी, stomach की कमी से अल्कोहल और uterus की कमी से ये बात पता लगाने में समस्या आएगी कि किसने उसे बेईज्ज़त किया। ये ऐसा शायद पहला मामला दुनिया के सामने है जिससे पता चलता है कि हमारे देश में पोस्ट मार्टम किस तरह से किए जाते हैं।
यही वो कारण है जिसकी वजह से यदि किसी कि मौत हमारे देश में किसी हादसे से होती है तो लोग उसका पोस्ट मार्टम कराने से डरते हैं। क्यूंकि उन्हें ये लगता है कि ये लोग uske सभी ज़रूरी अंग निकाल लेंगे जोकि सच भी है। अब देखना ये है कि कितने लोग इस मुद्दे को उठाते है और इसका क्या होता है?
जहाँ तक मीडिया का सवाल है तो मुझे कुछ ख़ास उम्मीद नही है क्यूंकि ये ख़बर मैंने एक अंग्रेज़ी channel पर केवल flash होते हुए देखी कोई रिपोर्ट नही देखी बाकी हिन्दी चैनल्स को ये ख़बर कितनी ज़रूरी लगती है ये देखना बाकी है क्यूंकि उनकी तरफ़ से इस बारे में कोई सूचना नही है।
ठीक बात है. लेकिन स्कालेट मामला अलग है...
जवाब देंहटाएंहाँ शीर्षक में 'गयी' शब्द के स्थान पर 'गया' शब्द का चयन होना था, कृपया अन्यथा न लें
@सुनील
जवाब देंहटाएंमित्र बात पता चल गया कैसे हो सकता है- हमें तो गई ही सही जान पड़ता है।