ये वो पंक्तियाँ हैं जो की शरद यादव दरअसल कहना चाहते थे मगर साफ साफ कह नही सके। चलो शुक्र है उन्होंने ये माना तो सही कि बढ़ती महंगाई में कुछ हाथ पिछली सरकार का भी है। क्यूंकि उन्होंने ही कमोडिटी बाज़ार कि शुरुआत की थी, जिसकी मार इस समय देश देख रहा है। शरद यादव ने अपने बयान में ये बात मानी है कि कमोडिटी बाज़ार NDA सरकार की भूल थी। अब शायद अपनी पिछली एक पोस्ट में मेरे द्वारा लिखी बात शायद लग रहा है कि सही थी। जिसे अन्य लोगों का भी समर्थन मिल रहा है।
यदि इस बढ़ती हुई महंगाई के पीछे इस अदद बाज़ार का हाथ है तो इसे बंद किया जा सकता है बशर्ते सरकार इस और थोड़ा ध्याम दे और हिम्मत जुटाए। वरना जिस प्रकार हमारे योजना आयोग के अध्यक्ष महोदय मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने कह दिया है कि बढ़ती हुई महंगाई सारी दुनिया की समस्या है और चीन में तो ये दर भारत से अधिक है केवल अपना पल्ला झाड़ने वाली बात है।
हाँ लेकिन अभी भी ऐसा क्यों लग रहा है कि विपक्ष इस मसले को बड़ा मुद्दा क्यों नही बनाना चाहता। क्या उसे ये कोई बड़ा मुद्दा नही लगता जबकि इसी मुद्दे कि वजह से उनकी सरकार गई थी। हाँ मुद्दे इसको जसपाल भट्टी जी ने अपने दिलचस्प अंदाज़ में बनाया जिसने शायद सरकार को कुछ शर्म ज़रूर दिलाई होगी। हालांकि सरकार ने इस विषय पर कल कुछ क़दम ज़रूर उठाये मगर उस पर मोंटेक जी का बयान गैर ज़िम्मेदाराना लगता है।
सही कहा है आपने....
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