सोमवार, 7 अप्रैल 2008

आखिर क्या समानता है अमिताभ बच्चन और ब्लोग्वानी में?

कभी कभी सोचता हूँ कि आखिर क्या समानता है अमिताभ बच्चन और ब्लोग्वानी में?
तभी मेरा ध्यान जया बच्चन के बयान पर गया जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि किसी को अपनी बात दुनिया के सामने लानी हो तो वो इंसान अमिताभ बच्चन का नाम जोड़ देता है और इसी के साथ साथ अपने एक ब्लॉगर मित्र का एक लेख भी याद आ जाता है जिसमें उन्होंने वर्णन किया था कि किस प्रकार अपनी पोस्ट के आगे या पीछे ब्लोग्वानी जोड़ देने से उस पर देखने वालों की संख्या बढ़ जाती है।
यदि यदि किसी को अपना कोई समान या विचार बेचना होता है तो वो अमिताभ बच्चन का नाम इसमें शामिल कर देता है चाहे विवाद के तौर पे या चाहे विज्ञापन के तौर पे। मसलन यदि आपको लगे कि आपका समान नही बिक रहा है तो आप सोचेंगे कि किसी प्रकार इसमें अमिताभ बच्चन को शामिल कर इसके प्रचार किया जाए?
और यदि आप किसी राजनितिक दल के सदस्य हैं और आपको लगता है कि कोई आपको नही सुनता और आपकी राजनीति नही चल रही है तो आप अपने साथ अमिताभ बच्चन का नाम जोड़ सकते हैं चाहे प्रचार के तौर पर या चाहे विवाद के तौर पर आपकी राजनीति चल निकलेगी।
अब इसके उदाहरण यदि किसीको समझ न आया हो तो देख सकता है कि प्रचार के तौर पर अमिताभ जी का सबसे अधिक प्रयोग किया है समाजवादी पार्टी ने और विवाद पैदा कर अपनी राजनीति चमकाई है राज ठाकरे ने।
कहने का सार ये की अमिताभ के नाम पर उत्पाद और विवाद दोनों ही बिक सकते हैं।
ठीक इसी प्रकार से यदि किसीको लगता है उसके ब्लॉग पर पाठकों की संख्या नही बढ़ रही है तो वह व्यक्ति ब्लोग्वानी का नाम इसमें शामिल कर सकता है। पाठकों की संख्या अपने आप ही बढ़ जायेगी। इसके अनेक उदाहरण है॥ जिसका ज़िक्र हमारे कईं ब्लॉगर मित्र कर चुके है। वैसे इसका एक उदाहरण कोतुहल पर ही फालतू द्वारा लिखी गई पोस्ट हैं जिसमें ब्लोग्वानी का ज़िक्र था और उन पोस्ट को सबसे अधिक हिट्स प्राप्त हुए मगर जिस समस्या के लिए लिखे गए थे वो हल नही हो पाई। हाँ एक बात और यदि किसी को अपनी ब्लोगारी और चम्कानी है तो वह व्यक्ति इसमें भडास का ज़िक्र भी कर सकता है। मैंने ऐसी कईं पोस्ट देखीं हैं जिनका भडास से दूर दूर तक कोई लेना देना नही होता मगर भडास का ज़िक्र कर देने भर से चल पड़ती हैं। हाँ एक बात और यदि कोई पाठक ये समझता है की मैंने भी ऐसा ही किया है तो ये उसकी राये है जो की सही भी ही सकती है। मैं इससे इनकार नही करता।

3 टिप्‍पणियां:

  1. और सबसे पहले अपने ज्ञान का फायदा खुद उठाना चाहिये..:)

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  2. अजी आपने तो दोनों ही इस्तेमाल कर लिया है, आपका ये पोस्ट तो हिट ही हिट.. :P
    वैसे आपका वो ब्लौगर मित्र मैं ही हूं.. पिछले 2-3 दिन से कोई पोस्ट 40-50 बार् से ज्यादा नहीं पढा जा रहा है.. सोचता हूं एक बार फिर वही ट्रिक प्रयोग में लाउं.. :D

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  3. कह तो सही रहे हैं...मगर हम तो खैर आप तक यूँ भी आते. :)

    शुभकामनायें मित्र. आप तो यूँ ही इतना बेहतरीन लिखते हैं.

    ये सब तो बुलबुलों की ट्रिक है एक बार की. :)

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