आज उनको दुल्हन बने देखा मैंने,
दिल के अरमानों को अश्कों से निकलते देखा मैंने।
यूं तो बैठे थे वो दामन को दबाये हुए,मगर,
उस दामन में अपने कफ़न को देखा मैंने।
तड़प उठा दिल ये सोचकर के वो कहीं और जा रहे हैं,
अपने घर को आंखों के सामने उजड़ते देखा मैंने।
होता कोई और मंज़र तो आंखें फेर लेता मैं भी,
मगर क्या करूँ एक पत्थर जो हूँ,सब देखा मैंने।
उनकी आंखों में नजाने कैसी उदासी सी छाई थी,
एक बेवफा को आखरी बार दिलरुबा देखा मैंने।
काश इस मंज़र से पहले ख़ुदा मुझको बुला लेता,
के मौत से पहले, मौत का मंज़र देखा मैंने।
मगर एक बात है जिसको तस्लीम करना चाहता हूँ,
एक तेरे सिवा तेरे बाद न किसी और को देखा मैंने।
मगर एक बात है जिसको तस्लीम करना चाहता हूँ,
जवाब देंहटाएंएक तेरे सिवा तेरे बाद न किसी और को देखा मैंने।
-वाह. और लाईये.
डायरी में दिल खोल रखा है आपने तो...
जवाब देंहटाएंअब डायरी के और पन्नों का भी इंतजार रहेगा।
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