बुधवार, 14 मई 2008

क्या अपने ब्लॉग पर अपनी राये रखना एक बेवकूफी है?

कल मैंने चीन के मसले पर जो कुछ भी लिखा वो मेरे मन में आया। इसका मतलब ये कतई नही की मैं किसी को नीचा दिखाना चाहता था। और उसमें कितनी समझदारी या बेवकूफी की बातें मैंने लिखी मैं जानता हूँ। इसका जवाब मुझे मेरे साथियों की टिप्पणियों से मिल गया.ये मेरे मन का भाव था, जो मैंने उतारा और इसपर उन सभी साथियों की राये मुझे पसंद आई जिन्होंने टिपण्णी द्वारा मुझे इस पर दुबारा विचार करने के लिए प्रेरित किया मगर हिन्दी ब्लॉग जगत के एक माहन महारथी हैं जिन्हें यहाँ सब जानते हैं यदि उन्हें इस विषय में कुछ कहना था तो एक टिपण्णी डाल देते, ना की मेरे इस लेख को एक मखोल बना कर उन्होंने अपने ब्लॉग पर पोस्ट किया।

जब मैंने ब्लोगरी नई नई शुरू की गई थी तब मुझे बताया गया कि इन मठाधीशों के बारे में कुछ न लिखें, तब मैंने इस बात को हँसी में उडा दिया क्युकी मुझे पता था कि मुझे किसी और के बारे में लिखने की ज़रूरत ही नही है न ही मैं किसी पंगे में पड़ने और बेवजह बदनाम होकर नाम कमाने आया हूँ मगर अपने इन साथी महोदय की टिपण्णी का अंदाज़ मुझे ज़रा भी नही भाया और मैं चाहूँगा कि यदि किसी को लेख के बारे में कुछ भी कहना हो , चाहे मज़ाक ही उडानी हो तो टिपण्णी द्वारा कह सकता है मगर इस प्रकार अपने ब्लॉग पर मखोल की भाँती उसे ना पेश करे।

मैं कोई पेशेवर पत्रकार नही हूँ जो अपने शब्दों को संभाल संभाल के लिखे, हाँ कोशिश करता हूँ कि भाषा भद्दी न होने पाये। ये ज़रूरी नही कि हर एक व्यक्ति कि राये आपस में मेल खाए और ये भी ज़रूरी नही कि अलग ही हो।
मैंने ये पन्ना केवल अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए बनाया है। क्यूंकि हमें सिखाया गया है विचारों का मंथन करने से विचार शुद्ध होए हैं और अगर विचार अलग अलग हो तो और भी बहतर है इससे अच्छा नजीता निकलता है। बस।
अंत में निवेदन एक बार फिर कि यदि लेख पसंद आए या ना आए तो इस विषय में टिपण्णी अवश्य करें मुझे मेरी गलती से टिपण्णी द्वारा ही अवगत करायें ना कि एक मखोल बनाकर अपने ब्लॉग पर पोस्ट करें।
धन्यवाद।
नदीम

4 टिप्‍पणियां:

  1. प्रिय नदीम,
    कोई मठाधीशी नहीं है, तथा कोई आपको अपनी राय रखने से नहीं रोक सकता उसे कोशिश भी नहीं करनी चाहिए क्‍यों ये ब्‍लॉगिंग के चरित्र के ही खिलाफ है।
    ठीक इसी तरह आपकी राय से फर्क राय रखने का भी हक हर किसी को है और उसे व्‍यक्‍त करने का भी। अपने खुद ही अपनी पोस्‍ट में माना कि ये विचार ही अतार्किक है कि चीनी सरकार के कामों की सजा उसके निर्दोष नागरिकों भूकंप से दी जाएगी- ये तो तब है जब आप किस्‍मत में यकीन करने वाले हैं- किसी ईश्‍वर निरपेक्ष को तो ये मूर्खतापूर्ण विचार ही लगेगा।
    रही बात अपनी असहमति को पोस्‍ट लिखकर कहे कि टिप्‍पणी में ये अधिकार भी आप नहीं ले सकते जैसे कि आपने भी तो अपनी ये राय बजाए टिप्‍पणी में देने के पोस्‍ट लिखकर ही दी न।

    कृपया ये भी देखें कि ब्‍लॉग रिपोर्टर हिन्‍दी की पोस्‍टों का जायका देने के उद्देश्‍य से है इसलिए उसपर तो पोस्‍ट ही लिखकर बताया जाएबा कि हिन्‍दी में क्‍या विचार किया जा रहा है।
    जहॉं तक पत्रकारों से आपकी नाखुशी का सवाल है' हम आपके साथ हैं :) आपकी तरह हम भी अपत्रकार ही हैं।
    आप लिखते रहें- बिंदास

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  2. नदीम जी,
    आपकी सोच और आपकी राय से हो सकता है कोई सहमत नहीं हो, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि कोई आपको आपकी राय रखने से रोके, टोके।
    आप बेहिचक लिखते रहें....माखौल उड़ाने वाले थक जाएंगे।

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  3. very few hindi bloggers , blog , they merely drive traffic to their blogs to earn from ads by google .

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  4. आप नाहक ही परेशान हो रहे हैं. आप अपना बिंदास लिखिये और जिसे जो लिखना है लिखने दिजिये. सभी को आजादी है. चिंता न करें.

    शुभकामनाऐं.

    (वैसे कुछ मठाधीशों के नाम तो बतायें, हम भी तो जान लें कि कौन हैं वो लोग?? :))(मजाक को मजाक में ही लें)

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