सोमवार, 7 दिसंबर 2009

तेरे अफसाने भी न! त्रिवेणी!

मुझको रुलाने ये फिर आ गए हैं,
रात भर जगाने ये फिर आ गए हैं,
!
!
!
तेरे अफसाने भी न दुश्मन मेरे हैं॥

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