मंगलवार, 8 दिसंबर 2009

तुम्हारे जाने का यक़ीन नही हुआ! हाल ऐ दिल!

आज फिर तुम्हारे,
एक sms के,
इंतज़ार में बैठा हुआ हूँ,
फ़ोन की हर सरसराहट पे लगता,
ये कॉल तुम्हारा ही होगा,
जैसे हर रोज़ आया करता था,
तुम्हारे जाने से पहले,
न जाने क्यूँ,
अभी तक,
तुम्हारे जाने का यक़ीन नही हुआ!

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